Wake Up Smit

This is my Blog, I'll write what I think, what I like to share with everyone. I do not claim to be the originator of all collections here. I get these through, email, books, movies amongst other sources; makin it difficult to always give credit to the Author. It is just my attempt to liven up LIFE which is in any case too serious. There is no discrimination - racial or otherwise involved. If you see something you do not like, please feel free to move on!

Friday, September 14, 2018

मोब लिंचिंग मे सोशियल मीडिया की भूमिका

2011 के वर्ष मे श्री सुब्रमानियन स्वामी द्वारा कोची तस्कर केरला नाम की आईपीएल टीम मे तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री की पत्नी का हाथ होने का ट्वीट किया था।  जिसके बाद इलेक्ट्रोनिक और प्रिंट मीडिया ने इस मुद्दे को बढ़ा आगे बढ़ाया। और उस टीम को भी आईपीएल से मैम्बरशिप खोनी पड़ी। ये शायद भारत देश के राजनीति और सामाजिक एवं मीडिया पे सोशियल मीडिया का पहला बड़ा प्रभाव था।

लोकतन्त्र का चोथा स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारत्व मे इस सदी मे काफी बदलाव आए है। इलेक्ट्रोनिक मीडिया का जन सामान्य मे व्याप एवं विशवास इस सदी की शरूआत से काफी बढ़ा है। 24 घंटे  न्यूज़ चलाने वाले पत्रकारत्व के चेनल ने देश के हर कोने तक समाचार को तेज और आसान तरीके से पहोचने का काम किया है। मगर यह मीडिया एक-से-अनेक की प्रणाली पर यानि की एक जगह से काही गई बात को अनेक लोगो तक पहुचाता है। जिसमे उस पत्रकारो की जवाबदारी और जवाबदेही काफी हद तक बढ़ जाती है।

सोशियल मीडिया इस से थोड़ा भिन्न यानि की अनेक-से-अनेक प्रणाली पर कार्य करता है। अर्थात, एक साथ एक से ज्यादा व्यक्ति, एक से ज्यादा व्यक्ति या व्यक्ति के समूह तक अपने विचार को प्रस्तुत कर शकते है। अपनी बात उन तक पहोचा शकते है। यह सोशियल मीडिया किसी भी सेंसरशिप के तहत नहीं आता इस लिए इस पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के स्तर का अंदाज लगाना या उस पे वितरित मेसेज की पुष्टता करना असंभव जैसा है।

आज समाज के हर तबके के पास कमोवेश मोबाइल फोन, कोमपुटर या इंटरनेट की सुविधा प्राप्य है। व्हाट्स एप, फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशियल मीडिया और एप से व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने से अपने विचार लोगो के साथ शेर कर शकता है। किसी भी प्रसिध्ध नेता, अभिनेता, लेखक या खिलाड़ी से  सोशियल मीडिया के द्वारा सीधा संवाद किया जा सकता है, और अपने विचार, प्रशंषा या आलोचना को उनके साथ शेर किया जा शकता है।

एक तरीके से देखा जाय तो सोशियल मीडिया ने अमीर वर्ग और सामान्य वर्ग के बीच के फासले को काफी कम कर के एक नए आयाम, एक नया रास्ता खोल दिया है। जैसे लोक तंत्र मे “एक व्यक्ति – एक मत” का प्रविधान है। यानि की हर एक व्यक्ति एक समान है। सोशियल मीडिया मे भी यह एक मूल बात है की यहा एक मेसेज या वीडियो वाइरल होने पर कोई सामान्य व्यक्ति उतनी प्रसिध्धी प्राप्त कर लेता है, जहा पहुचने के लिए कई कलाकार और नेता सालो तक प्रयास करते है।

यह बात भी उतनी ही सही है की सोशियल मीडिया से मिली प्रसिद्धि उतनी ही तेज गति से चली जाती है जितनी जल्दी वो आई थी। इस लिए सोशियल मीडिया बेहद ही गति से बदलती हुई तस्वीर है जिसके रंग को एक अच्छा रंगरेज ही समज शकता है। सोशियल  मीडिया इस काल खंड  इतना प्रभावशाली है के ये मनुष्य समाज की जीवनशैली पर न सिर्फ प्रभाव छोडता है बल्कि वो उसकी सोच बदलने का भी माद्दा रखता है। किसी भी समाज की उपलब्धि उसके वैचारिक स्तर और जीवन शैली से प्रतिवादित होती है। व्यवहार और आचरण से उस समाज मे लोगो की मानसिकता पता लगा ने के लिए काफी महत्वपूर्ण वस्तु है।

मोब लिंचिंग एक काफी तनावपूर्ण शब्द है, जिसका जन सामान्य  अर्थ होता है के विचार, धर्म, जाति, सोच से समान मानस वाले लोगो का समूह, उनसे भिन्न मत रखनेवाले व्यक्ति पर एक सोची समजी साजिश के तहत हिंसा करे और उसे शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक तौर पे हानी पहोचाए। यह बात अपने आप मे इतनी घ्रिणास्प्रद है की “अहिंसा परमो धर्म” मे मानने वाले इस देश मे ऐसी घटनाए हो रही है।

मोब लिंचिंग की घटना  सामान्यत: एक व्यवस्थित सुनियोजित घटना क्रम मे की जाती है जिसे बाद मे, एक समाज, जाती, धर्म या देश के साथ जोड़ कर भावुकता और सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास होता है। कोई भी व्यक्ति अपने परिवार, धर्म, संस्कृति एवं राष्ट्र के प्रति काफी प्रेम, आदर और सन्मान रखता है, जिसपे वो गर्व करता है और उसे श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करता है। यह जन सामान्य व्यक्ति अन्य व्यक्ति के धर्म, संस्कृति एवं राष्ट्र को भी उसी आदर और सन्मान की द्र्श्टि से देखता है।

सोशियल मीडिया मे बिना किसी पुष्टि या पड़ताल किए कही से मिले, जाने या अंजाने भेजे गए मेसेज और विडियो को बिना ज्यादा कुछ सोचे फॉरवर्ड किया जाता है और इसे समान विचारधारा के लोगो तक बहुत ही तेजी से फैलाया जाता है। एक ही प्रकार के विभिन्न मेसेज धीरे धीरे उस व्यक्ति के जन मानस मे बेठ जाती है और उस की विचार क्षमता कुछ समय के लिए इनसे प्रभावित भी होती है।

पिछले दिनो, विविध स्थलो पर छोटे बच्चो को उठा कर ले जाने वाली और बाद मे  उन बच्चो से बाद मे अनैतिक काम करवाने वाली गेंग का एक वीडियो और मेसेज था। यह मेसेज मे शहर के नाम अलग थे लेकिन उसके साथ शेर किए जाने वाला विडियो एक ही था। यह विडियो मे  मोहल्ले मे कचरा इकठठा करने वाले लोग छोटे बच्चो को उठा के ले जाते है एसा दिखाया गया था।

इस का परिणाम यह आया की कई शहर और टाउन मे एसे किसी भी शंकास्पद व्यक्ति को देखे जाने पर उसको वह के लोगो द्वारा बहोत पूछताछ की गई और कई जगह उनको बहोत बुरी तरीके से मारा भी गया। कई जगह उनको अमानवीय तरीके से पीट कर पोलिस को भी सोंपा गया। इन मे से कई लोग बेकसूर निकलने पर छुट भी गए लेकिन उन व्यक्ति पर लगा वो दाग, वो आरोप नहीं निकला।

वो भीड़ या शहर के लोग मे से कई शायद ये जानते भी होंगे के ये बच्चा चोरी करने वाले गेंग के सभ्य नहीं है लेकिन उस विडियो के प्रभाव और अपने प्राणप्रिय बच्चो को खोने का भय उन्हे ये सोचने और यह कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।

इसी तरह एक ही धर्म के लोगो के बीच रहते अल्प संख्यक लोग भी अपनी अलग विचार सरणी या रहन सहन के लिए इस प्रकार के टकराव कर कारण बनते है। यह भविष्य मे विकट समस्या भी बन शकती  है, जो की समाज मे बटवारे का एक कारण बन सकती  है। इस लिए एसे समाज विरोधी दैत्य को बड़ा होने से पहले इस समाप्त कर देना बहुत जरूरी है।

जिस तरह मोब लिंचिंग की समस्या को बढ़ावा देने मे सोशियल मीडिया काफी महत्वपूर्ण किरदार अदा करता है उसी तरह इसके इलाज  भी सोशियल मीडिया की जड़ीबूटी से आसान एवं संभव है। सोशियल मीडिया एक “आभासी सत्यता” जैसा माध्यम है जहा कही सुनी या देखी गई बाते शायद सुकून देती है लेकिन उसका असली दुनिया मे कार्यान्वन बहुत ही मुश्किल है।

इन्न घृण कृत्यों से हमारे महान देश को बचान हर एक नागरिक का कर्तव्य है। सोशियल मीडिया पर कोई भी माहिती या मेसेज लोको के साथ शेर करने से पहेले इसकी सत्यता परखना जरूरी है। यधपि कोई व्यक्ति या समूह एसी घटना क्रम मे शामिल होता है तो तुरंत पोलिस एवं प्रशाहन को इतल्ला कर एसी घटना को रोक्न चाहिए। यह भी एक प्रकार की देश सेवा ही है।
सोशियल मीडिया उस प्रकार की तलवार है जिस का ठीक से ईस्तमाल न करने पर खुध को ही चोट लगाने की बड़ी संभावना रहटी है। इस लिए समाज की एकजुटता और देश के विकास के लिए इस विषय मे हम सब का आत्म संयम बेहद आवश्यक एवं अनिवार्य है।

आओ भेदभाव को रख के परे, हम एक दूसरे से जुड़े।

प्यार और मानवता का संदेश, ले कर हम सब आगे बढ़े

बैर न हो इंसान का इंसान से, खुशी से सब के दिल भरे,

मिटादे सब फासले और नफरते, एक नए भारत की और चले॥